सोमवार, १० जानेवारी, २०२२

अहिराणी -लावणी.

 अहिराणी -लावणी.

जाऊ नका बाहेर.=



आभाय आज ,भरी वूनं 

गरजी ऱ्हायनं भारी.........

चमकी ऱ्हायन्या इजा आज

    जीव मना  गया  घाबरी...

बरसी ऱ्हायना   पानी  जोरमा 

नदीले वूना पूरं

गिरणा थडी भरी वाही ऱ्हायनी

तापी ले वूना पूर......

ओ पावना तुमी 

जाऊ नका बाहेर  -  

    ओ पावना तुमी 

    जाऊ नका बाहेर.-   

                                                                      

 समदीकडे पानीच पानी 

वावर लागनं हसाले

धरनीनी आज

 मिटी जायी तिस

आसी व्हयीन आज बरसात

पांझरा नी धार फुटनी

वाहत जायी ती दूर दूर...

ओ पावना तुमी 

जाऊ नका बाहेर  -  

    ओ पावना तुमी 

    जाऊ नका बाहेर.                      


 मनमा मना ,भाव से जुना

 काथा बिना पान सुपारीले

रंग चढत नयी ना .....

बरसात ना आज

न्यारा रुप दिसी ऱ्हायना

आंगमा व्हयी ऱ्हायनी थरथर

तित्तूर   संगे  नदी वाघूर 

आज  भलती से जोरदार.......

ओ पावना तुमी 

  जाऊ नका बाहेर  -  

       ओ पावना तुमी 

        जाऊ नका बाहेर. 

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✍  एकनाथ ल .गोफणे.

ekgof2015@gmail.com.

8275725423....





माझी लेखणी

गोरबोली भाषा .. कविता.

 अहिराणी -लावणी . जाऊ नका बाहेर .= आभाय आज ,भरी वूनं  गरजी ऱ्हायनं भारी......... चमकी ऱ्हायन्या इजा आज     जीव मना  गया  घाबरी... बरसी ऱ्हाय...