'गोरमाटी खुडा '

  'गोरमाटी खुडा 'विनोदी किस्सा
         *एक संवाद*

*याडी*: _ तार , तार बापेपर तरी जीव हेतो कांई?
*बाप *: - का? आबच तोन मार बापेर याद का आयी?
*याडी *: मार तो मार ससरे पर घणो जीव हेतो.
       तार , तार बापेपर तरी जीव हेतो कांई?करन पुच री छू..
*बाप* : - का? आबच तोन मार बापेर याद का आयी?
         तोन, ' सळोई ' न याद आरी , आज थावरेर...
*याडी* : आज आपणे ' डोकरान ' ४ साल वेगे..
 *बाप *:  हा , 'डोकरा ' समागो.४ साल वेगे..
         आपणे खेतेर वाटा पडगे .४ भाई , ४ बोडी
        छिच्यापर सारी 'डोकरार ' आशिर्वादेशी खुश छा...
      खेतेम ४ भाई मळन डोकरार 'थडो 'भांदनाके !
*याडी*: हा ,४ भाई मळन डोकरार 'थडो 'भांदनाके?
       आचो काम किदे ! कनाई जावो छो कोई ,डोकरान धोकेन?

  *बाप* :  रोजेर कामेम जमेनी.आब डोकरार 'गोट ' करीया.
*याडी*:  म , वूच वात केरी छू.तार , तार बापेपर तरी जीव हेतो कांई?

*बाप*: तार केणू कांई छ ? .... जे मोकळो बोल ..
*याडी* : मार छोरा ,कालीजे मांई, जावं छ,सिकसण शिकरो छ, तरी ओर दादानं भुलेनी !
*बाप*:  पच ,कांई हेगो ?
*याडी* : रोज सांज दादार यादं आवछं, करन 'डोकरार थडेप' जान हेट
          मुंडी घालन बेसो रेवं छं !घणो जीव छ , ओर दादाम !
          नितो तार , तार बापेपर तरी जीव   हेतो कांई?

*बाप*:  ये वेंडी, तार छोरार , ओर दादाम जीव छेनी , जीवो छ जीवो !
*याडी* : म वूच केरी छू...जीव छ.घणो जीव छ , ओर दादाम !

*बाप*:  ये वेंडी, तार छोरार , ओर दादाम जीव छेनी , जीवो छ जीवो !
        ओर हातेम ' जीवोर ' फोन छ... ऊ नेट चालू करन 'देखू करछं ' .
        अन तोन वाटछं,रोज सांज दादार यादं आवछं, करन 'डोकरार थडेप' जान हेट
          मुंडी घालन बेसो रेवं छं !घणो जीव छ , ओर दादाम !
          चालं माथो मत खा. सळोई बणा....

                                            .@Eknath GOFANE

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माझी लेखणी

गोरबोली भाषा .. कविता.

 अहिराणी -लावणी . जाऊ नका बाहेर .= आभाय आज ,भरी वूनं  गरजी ऱ्हायनं भारी......... चमकी ऱ्हायन्या इजा आज     जीव मना  गया  घाबरी... बरसी ऱ्हाय...